छोटू बाबू
शम्मी सिद्धार्थ के माता पिता का स्वर्गवास हो गया था। यह दोनों भाई दिल्ली में अपनी दादी के साथ रहते थे।
शम्मी सिद्धार्थ के दादाजी सरकारी नौकरी करते थे। शम्मी सिद्धार्थ के दादाजी के स्वर्गवास के बाद इनकी दादी को सरकारी पेंशन मिलती थी। दादी उस पेंशन से घर का खर्चा चलाती थी।
शम्मी सिद्धार्थ अपनी दादी के अच्छे संस्कार अपनाकर जीवन में आगे बढ़ रहे थे। विद्यालय से आने के बाद दोनों भाई अपनी दादी के साथ घर के कामों में दादी की सहायता करते थे।
शाम को विद्यालय का काम पूरा करने के बाद रसोई घर में दादी की मदद करते थे। और फिर दादी के साथ मिलकर दोनों खाना खाते थे। उसके बाद टीवी देखते हुए पूरे दिन की बात करते थे।
सुबह जल्दी उठकर दादी के साथ पूजा करते थे। और नाश्ता करने के बाद दोपहर का स्कूल का लंच लेकर विद्यालय चले जाते थे।
एक दिन स्कूल के चौकीदार के घर के आंगन में लाल और सफेद रंग के कुत्ते के पिल्ले आपस में भाग भागकर खेल रहे थे।
शम्मी और सिद्धार्थ की नजर उन कुत्तों के पिल्लों पर पड़ती है, उनमें से एक सफेद रंग का पिल्ला वह चौकीदार से पालने के लिए मांग लेते हैं। चौकीदार सफेद रंग का कुत्ते का पिल्ला खुशी से दे देता है।
उनकी दादी उस कुत्ते के पिल्ले को देखकर बहुत खुश होती है। और उसका नाम छोटू बाबू रख देती है।
छोटू बाबू पिल्ले के घर में आने से उनके घर का माहौल खुशनुमा हो जाता है। छोटू बाबू पिल्ला इनके साथ जब खाना खाता था, तो इनकी बातें ध्यान से सुनता था। दादी जितना प्यार शम्मी और सिद्धार्थ को करती थी। उतना ही प्यार छोटू बाबू पिल्ले से करती थी।
शम्मी सिद्धार्थ के विद्यालय जाने के बाद छोटू बाबू पिल्ला दादी को घर के कामों में व्यस्त देख कर चुपचाप खेलने के लिए बाहर भाग जाता था।
दादी हाथ में दंडी लेकर छोटू बाबू पिल्ले को ढूंढती थी। जब वह मिल जाता था, तो उसे बहुत डांट दी थी।
छोटू बाबू पिल्ला दादी का गुस्सा शांत करने के लिए दादी के आगे भाग भाग कर अपनी पूछ बार बर हिलाता था। उसकी इस हरकत से दादी का गुस्सा शांत हो जाता था।
इस बार दादी शम्मी और सिद्धार्थ के साथ छोटू बाबू के लिए भी लाल रंग का स्वेटर बुनती है।
एक दिन दादी छोटू बाबू को
नाहलाकर लाल स्वेटर पहना कर धूप में चारपाई पर बिठ देती है।
छोटू बाबू पिल्ले को लाल स्वेटर पहना देखकर जंगली कुत्ते पूछ दबाकर कर बहुत भोंकते हैं। और फिर वहां से भाग जाते हैं।
एक दिन छोटू बाबू पिल्ला चारपाई पर उछल उछल कर खूब खेल रहा था। वह अचानक चारपाई से गिर जाता है। और उसके पैर में चोट लग जाती है।
चोट लगने की वजह से दादी रोज छोटू बाबू को हल्दी का दूध पिलाती थी।
शम्मी सिद्धार्थ स्कूल से आकर खाना खाने के बाद छोटू बाबू के साथ खेल कूद कर अपना समय बिताते थे। शम्मी सिद्धार्थ और दादी के लिए छोटू बाबू पिल्ला घर का बहुत प्यारा सदस्य था।
एक दिन शम्मी सिद्धार्थ के विद्यालय जाने के बाद दादी पास की दुकान से कुछ सामान लेने जाती है।
उसी समय छोटू बाबू पिल्ला दादी के पीछे भागने लगता है। और भागते भागते घर से बहुत दूर बड़ी सड़क पर चला जाता है।
दादी छोटू बाबू को रोकने के लिए बहुत आवाज देती है। पर छोटू बाबू दादी की आवाज सुनकर और डर जाता है। और बड़ा रोड पार करके दूसरी तरफ चला जाता है।
छोटू बाबू पिल्ला दादी को देख कर पूछ हिला कर की की की करता है। और रोड पार करके दादी की तरफ आने की कोशिश करता है।
उस समय बड़े रोड पर तेज रफ्तार से ट्रक गाड़ियां बस चल रही थी।
दादीछोटे बाबू को उस तरफ देख कर बहुत घबरा जाती है। और छोटे बाबू पिल्ले को बचाने के लिए ट्रैफिक के बीच में रोड पर फंस जाती है।
दादी बीच रोड में खड़ी थी। और दादी के आजू-बाजू से तेज रफ्तार से बड़ी गाड़ियां निकल रही थी।
दादी को बीच रोड में फंसा देखकर छोटू बाबू पिल्ला भी दादी के पास बीच रोड में आ जाता है। दादी छोटू बाबू पिल्ले को जल्दी से अपनी गोदी में उठा लेती है। चारों तरफ से तेज
रफ्तार गाड़ियों को देखकर दादी छोटू बाबू पिल्ले को गोदी में लेकर खड़े होकर बहुत घबरा रही थी।
उसी समय सिद्धार्थ और शम्मी के स्कूल की छुट्टी हो जाती है। वह इस रोड को रोज पार करके घर आते थे। वह इस रोड को बहुत सावधानी सुरक्षा से पार करते थे। वह आज इस रोड के बीच में दादी और छोटे बाबू पिल्ले को फंसा देखकर बहुत घबरा जाते हैं।
पर उन्हें रोज रोड पार करके विद्यालय जाना पड़ता था। इस वजह से उन्हें यह रोड पार करने का पूरा तरीका मालूम था।
और वह बहुत सावधानी और सुरक्षा से दादी और छोटे बाबू उस रोड से बचाकर किनारे पर ले आते हैं। और एक बड़ा हादसा टल जाता है।
Palak chopra
18-Oct-2022 11:36 PM
Achha likha hai 💐
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Gunjan Kamal
18-Oct-2022 10:11 PM
बहुत खूब
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शताक्षी शर्मा
18-Oct-2022 11:06 AM
Nice
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